प्रतिक्षा

दिल की ये जो
मझधार है
तुम्हारे प्यार के नाव की
प्रतिक्षा में
सूखते ही जा रही
हृदय में जो तूफान
उठते हैं
तुम्हारी यादों के
इन्हें तुम्हारी बाहों
और
किनारों की तलाश है
कबसे पलकें बिछा
रखी हैं
हर एक पथ पर
कहीं से तो आओगे
और मेरी सूनी
निगाहों में
प्यार के लम्हों को
सजाओगे

10 responses to “प्रतिक्षा”

  1. बढ़िया👏👏🌟

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    1. धन्यवाद आपका😊

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  2. सुंदर जज़्बात ।

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    1. बहोत बहोत धन्यवाद आपका😊

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